The Basic Principles Of baglamukhi sadhna



तीसरा उपचार: देवी को धूप दिखाना (अथवा अगरबत्ती दिखाना)

Baglamukhi, often called Bagala, is a Hindu goddess who is revered as one of the ten Mahavidyas. Worshipping Baglamukhi has the ultimate benefit of taking away the devotees’ delusions and misunderstandings. This offers them with a clear program to follow in everyday life. Baglamukhi is usually a goddess, who wields a cudgel to demolish the issues that her worshippers endure. The Mahavidya is a group of Parvati’s 10 Adi Parashakti types. Baglamukhi, commonly often called the “Goddess who paralyses foes,” may be the eighth Goddess of Hinduism’s Das Mahavidyas.

हाई ब्लड प्रेशर में क्या नहीं खाना चाहिए what never to…

Sit on a yellow mat experiencing North; have a wooden plank and canopy it much too using a yellow fabric. Now put a picture of Gurudev and worship Him with vermillion, rice grains, flower and many others. Light-weight an incense stick plus a ghee lamp.

Disclaimer All Information on the positioning has become given for data and academic reasons only. I will not practice or advocate the follow of those experiments.

सभी साधकों को साधना में अलग अलग अनुभव होते हैं।

इस लेया इस को ब्रहास्त्र महाविद्या कहा जाने लगा maabaglamukhi । यह एक महाविद्या जो हर काम में सक्षम है । पर इस का मतलब यह नहीं है के आप इस विद्या को हर छोटे मोटे काम के लिए इस्तमाल ना करो । यह एक महाशक्ति है जो बरह्मांड की स्वामी है यह महाविद्या है कोई खेलौना नहीं है । आग के साथ खेलो गए तो हाथ जल सकता है इस लिए सबसे विनती इस महाविद्या का प्रयोग बहुत जरूरत पड़ने पर ही करो । मां बगलामुखी कवच

पीली हल्दी की या पीली हकीक की माला से मंत्र जाप करना चाहिये

पांचवा उपचार: देवता को नैवेद्य निवेदित करना

राज बगलामुखी व राज्य राजेश्वरी प्रयोग राज्य व सरकारी नौकरी प्राप्ति और चुनाव में टिकिट प्राप्त करने व विजय लिया किया जाता है।

क्रोधी शान्तति दुर्जनः सुजनति क्षिप्रानुगः खंजति।।



कानूनी सजा व बंध-मुक्ति या जमानत पर रिहा होने हेतु बगलामुखी बंधक मुक्ति प्रयोग पीड़ित को शत्रु-षड़यंत्र से मुक्ति मिलती है।

जो साधक अपने इष्ट देवता का निष्काम भाव से अर्चन करता है और लगातार उसके मंत्र का जप करता हुआ उसी website का चिन्तन करता रहता है, तो उसके जितने भी सांसारिक कार्य हैं उन सबका भार मां स्वयं ही उठाती हैं और अन्ततः मोक्ष भी प्रदान करती हैं। यदि आप उनसे पुत्रवत् प्रेम करते हैं तो वे मां के रूप में वात्सल्यमयी होकर आपकी प्रत्येक कामना को उसी प्रकार पूर्ण करती हैं जिस प्रकार एक गाय अपने बछड़े के मोह में कुछ भी करने को तत्पर हो जाती है। अतः सभी साधकों को मेरा निर्देष भी है और उनको परामर्ष भी कि वे साधना चाहे जो भी करें, निष्काम भाव से करें। निष्काम भाव वाले साधक को कभी भी महाभय नहीं सताता। ऐसे साधक के समस्त सांसारिक और पारलौकिक समस्त कार्य स्वयं ही सिद्ध होने लगते हैं उसकी कोई भी किसी भी प्रकार की अभिलाषा अपूर्ण नहीं रहती ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *